सरदार जी पापड़ वाले संघर्ष से शिखर की ओर काशीवासियों के दिलो में छाया है अचार और पापड़ का जादू पापड़, अचार, मुरब्बा और बड़ी की है विशाल रेंज सस्ता नहीं सबसे अच्छा सरदार जी का पापड़ भारत के एलवा विदेशों में भी है भारी माँग ईरादे नेक हो तो सपने भी साकार होते है, यदि सच्ची लगन हो तो रास्ते आसां होते है।
बनारस के कचौड़ी गली स्थित सुप्रसिद्ध सरदारजी पापड़ वाले के संस्थापक
स्वo सरदार दिलदार सिंह उर्फ़ कल्लू सिंह का प्रारंभिक जीवन संघर्षो से भेरा
रहा है। लेकिनअपनी कड़ी मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने संघर्ष केरते
हुए अपने छोटे से व्यवसाय को सफलता की सिड़िया चड़ते हुए शिखर पर प
हुँचा दिया।
अमृतसर के किसान स्वo सरदार हरनाम सिंह के पाँच पत्रों में सबसे छोटे स
रदार दिलदार सिंह का जन्म काशी की उन्ही गलियों में हुआ, जहाँ से संघर्ष
केरते हुएउन्होंने अपने पापड़ व्यवसाय को सात समन्दर पार तक प्रसिद्धी
दिला दी ।
बचपन में ही पिता के निधन होने के बाद कुछ दिन तक तो सब ठीक-ठाक चलता रहा । लेकिन बाद में भाईयों ने उनकी परवरिश से मुँह फेर लिया
। माता फूल कोरअपने सबसे छोटे बेटे दिलदार सिंह से विशेष स्नेह रखती
थी। जीवन में संघर्ष का ककहरा दिलदार सिंह ने अपनी माता फूल कोर से ही
सीखा था । बाद के दीनो में चारोंभाई अपनी-अपनी दुनिया में मस्त हो गये और दिलदार सिंह व माता फूल कोर की ओर
कोई तवज्जो नहीं दी। चरो भाईयों ने माता जी और दिलदार सिंह को अलगर
हने पर मजबूर कर दिया। लेकिन माता फूल कौर बड़ी ही जीवट प्रवृत्ति की म
हिला थी । उन्होंने 17 साल के दिलदार सिंह को तरह-
तरह के पापड़ और बड़ी बनाने काप्रशिक्षण दिया । जिसे साइकल पर लेकर
दिलदार सिंह बेचने निकलते थे । रास्ते में जहाँ कही ख़ाली चबूतरा देखते थे
वही अपनी दुकान लगा देते थे । संघर्ष केशुरुआती दीनो में दिलदार सिंह साइ
कल चलाते हुए अपने पापड़ और बड़ी को मुगलसराय तक बेचने चले जाते थे
, उस समय सड़कों पर स्ट्रीट लाइट भी नही हुआकेरती थी और जंगल सरी
खा महोल हुआ केरता था । लेकिन दिलदार सिंह काफ़ी हिम्मती थे और कड़ी
मेहनत से नही कतराते थे । ईसी तरह मेहनत केरते रहे औरलोगों के ज़ुबान
पर उनके पापड़ और बड़ी का जादू छाने लगा ।
सन 1958 में बनारस की ही दलिप कौर से उनका विवाह हो गया। शादी के
बाद दिलदार सिंह पक्के महाल के गढ़वासी टोला के एक कमरे के मकान में
रहने लगे । जहाँपर परदा डालकर दोनो पति-
पत्नी और माताजी एक साथ रहते हुए पापड़ व्यवसाय को और मज़बूती के
साथ आगे बड़ाने के लिये मेहनत केरने लगे । पत्नी दलीप कौरका साथ मिल
ने से दिलदार सिंह में काम केरने का नया जोश और उत्साह पैदा हो गया । अ
ब धीरे-
धीरे उन्होंने मिलजुल कर आलू पापड़ , साबूदाना पापड़, उड़द कीबड़ी और
लाल मिर्च का अचार भी बनाना शुरू कर दिया। जिन्हें काशी वासियों ने ख़ूब
पसंद किया । काशी के घर-
घर में सरदार जी पापड़ वाले की लोकप्रियता बढ़नेलगी । ख़ासकर आलू पाप
ड़ और लाल मिर्च के अचार का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगा। माँ फूल कौर के आशीर्वाद और मित्र मंडली के सहयोग से दिलदार सिंहका व्यवसा
य दिन दुनी रात चौगुनी की तरह तरक्की करता रहा । उस समय बनारस में
सिख समाज के प्रधान स्व० सरदार अजीत सिंह सब्बरवॉल दिलदार सिंह की
ईमानदारी , व्यवहार, कुशलता और कड़ी मेहनत से बहुत प्रभावित थे और उ
न्हें अपने छोटे भाई की तरह स्नेह देते थे । स्व० श्री सब्बरवॉल ने दिलदार
सिंह कीशुरुआती दीनो में काफ़ी मदद की । दिलदार सिंह के अभिन्न मित्र
शिव प्रसाद यादव उर्फ़ शिव सरदार भी अपने मित्र की सहायता के लिये सदैव
तत्पर रहते थे । शिवसरदार की ही सहायता से दिलदार सिंह ने सन् 1961
को कचौड़ी गली में अपनी पहली दुकान खोली। दिलदार सिंह के दोस्तों ने उ
न दिनों उनकी काफ़ी मदद की ।दिलदार अपने नाम के अनुरूप ही यार-
दोस्तों के बीच काफ़ी दिलदार थे , लोग उन्हें प्यार से कल्लू सिंह पुकारते थे
।
शिव सरदार और कल्लू सिंह की जोड़ी उस समयपूरे बनारस में लोकप्रिय
थी। पूरे पक्का महाल में यदि किसी का कोई मामला फँसता था तो लीग दिल
दार सिंह के पास सुलझाने के लिए चले आते थे । दिलदार सिंहहमेशा सत्य
के साथ खड़े रहे । किसी पर ज़ुल्म होता या ग़लत होता उनको बर्दाश नही था
।
सन् 1974 में ठठेरी बाज़ार में दिलदार सिंह ने दूसरी दुकान खोली और व्या
पार को बुलंदी पर पहुँचा दिया । काफ़ी जद्दोजहद् और संघर्षके बाद दिलदार
सिंह की ज़िंदगीमें सुख के दिन आए थे । माता फूल कोर ने अपने जीते जी ने
पाली खपड़ा में एक मकान भी दिलवा दिया था । लेकिन जिस प्रकार सुख है
तो दुःख भी देखना बाक़ी था ।सन् 1983 में माता फूल कोर का निधन उनके
लिए बड़ा ही दुखद रहा । सन् 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व० इंदिरा गां
धी हत्याकांड के बाद पूरे देश भेर में फैले हिंसाऔर कोप का शिकार दिलदार
सिंह की ठठेरी बाजार वाली दुकान को भी झेलना पड़ा। उपद्रवियों ने उनकी दु
कान लूट ली और आग के हवाले कर दिया । 31 अक्टूबरसन् 1984 की इस
हृदय विदारक घटना के बाद दिलदार सिंह का मन टूट गया । घटना वाले दि
न के बाद से वो दुबारा ठठेरी बाज़ार नही गये। बाद में उन्होंने अपनीदुकान बे
चने का निर्णय लिया। पत्नी दलीप कौर समझती रही , मना किया लेकिन
दिलदार सिंह नही माने कहा ' जो दिल से उतर गया वो मन से भी गया, ज़िंद
गी सेभी गया '। इस घटना के बाद से दिलदार सिंह पूरी तरह टूट चुके थे । ले
किन पत्नी दलिप कौर के साथ और चार बच्चों के भरे-
पूरे परिवार की ज़िम्मेदारियों के एहसासने उन्हें फिर एक बार संघर्ष के रास्ते
पर खड़ा कर दिया । तमाम विपत्तियों के बावजूद उन्होंने अपने पापड़ व्यव
साय को आगे बढ़ाने में क्वालिटी से कभी समझोतानही किया । उनका मान
ना था कि कास्टिंग भले ही ज़्यादा हो , लेकिन कवलिटी मेंटेंन रहनी चाहिये
।
अपने इसी सिद्धांत पर चलते हुए उन्होंने अपने ब्राण्ड को ' सस्तानही-
सबसे अच्छा ' के आधार पर बाज़ार में स्थापित किया । दिलदार सिंह ने अप
ने व्यवसाय के साथ-
साथ इसी बने के अन्य व्यापारियों की भी भेरपुर मदद की ।अपने आख़िरी
समय में उन्होंने मेहनत करना नही छोड़ा और इसी लगन और मेहनत के सि
द्धांतो पर चलने वाले सरदार दिलदार सिंह इस दुनिया को सन्2008 में छोड़
गये । पति के साथ के बिना सन् 2009 में उनकी जीवन संगिनी दलीप कौर
का भी निधन हो गया । आज भी उनकी मदद से आगे बढ़े पापड़ उध्योग के
कई व्यापारी 'सरदार जी पापड़ वाले' की लोकप्रियता और नाम को भूनाकर
अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे है । सरदार जी पापड़ वाले वर्तमान उतरा
धिकारी स्व० दिलदार सिंह केसुपुत्र सरदार देवेन्द्र सिंह 'पिंकी' अपनी धर्म पत्
नी सपना टनेजा के साथ apne पिता द्वारा स्थापित आदर्शो का पालन के
रते हुये उन्ही के पदचिंहो पर अपनेव्यवसाय को आगे बढ़ा रहे है । देवेन्द्र सिं
ह ' पिंकी' के बड़े पुत्र इंद्रजीत सिंह जो एम. बी. ए की पढ़ाई केरने कि बाद सी.
ए. फाइनल में है और छोटे पुत्र गुरजीत सिंह'गुरुजी' मेरठ से इलेक्ट्रिकल इं
जिनियरिंग की डिग्री हासिल केरने के बाद गुड़गाँव की मल्टीनेशनल कम्पनी
की नौकरी छोड़कर पिताजी के साथ अपने परम्परागतव्यवसाय को नये दोर
कि हिसाब से बुलंदीयो पर पहुँचाने की ज़िम्मेदारी बख़ूबी संभाल रहे है ।अप
ने पिता देवेद्र सिंह पिंकी के साथ कंधे से कंधा मिलते हुये इंद्रजीतऔर गुरजी
त की कड़ी मेहनत और कुछ नया कर गुज़रने के संकल्प का ही परिणाम है
कि वर्तमान में सरदार जी पापड़ वाले ब्राण्ड की बिक्री सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के
सभी प्रतिष्ठित बिग बाज़ार में हो रही है ।
बनारस सभी प्रमुख मॉल और पाँ
च सितारा होटलो में भी सरदार जी पापड़ ब्राण्ड को ग्राहकों द्वारा ख़ूब पसंद
किया जा रहाहै। दिलदार पापड़ भण्डार के अधिष्ठाता देवेन्द्र सिंह 'पिंकी' ब
ताते है कि वर्तमान में हमारे यहाँ आलू के पापड़ की बहुत सी क़िस्म और रेंज
उपलब्ध है । जिसमें आलूपापड़ को धनिया, ज़ीरा, पुदीना, मेथी, कली मिर्च,
हरी मिर्च, लाल मिर्च स्वाद के अलावा व्रत-
त्योहार लिये सेंधा नमक फलाहारी आलू पापड़ भी निर्मित किया जाताहै ।
इसके अलावा चावल पापड़, साबूदाना पापड़, मूँग मिनी पापड़, मूँग का पा
लक पुदिना पापड़, मूँग का पापड़ मसला, मूँग-उरद का दही पापड़ , मूँग-
उरद कामीडीयम मसला पापड़, ज़ीरा पत्ती पापड़, चना पापड़, लहसुन का च
ना पापड़, मूँग-उरद-
चना का तिरंगा पापड़ तथा तेज़ मसले का पंजाबी स्पेशल पापड़ की वेराइटी
भीदिलदार पापड़ भण्डार में उपलब्ध है।
श्री पिंकी बताते है की पापड़ की इतनी सारी रेंज के अलावा आलू छत्ता, आलू
जाली, आलू चिप्स, आलू सेव , साबूदाना जलेबी, साबूदाना चिप्स, साबूदाना
सेवड़ा, चावलचिप्स, चावल सेव प्लेन, चावल सेव मसाला, बेसन सेव, उरद
की बंगला बड़ी, अमृत्सरी बड़ी, तेज़ मसाला उरद बड़ी, मुंगौडी, हिंगवाली मुं
गौडी, रायता बूंदी, चावलफ़्रैम्स, भिण्डी फ़्रैम्स, तिलौडी, साबूदाना वेफर तथा
मकई चिप्स भी हमारे यहाँ हर समय उपलब्ध है । अचार में हमारे यहाँ लाल
मिर्च भरवाँ, हरी मिर्च भरवाँ , हरी मिर्चकलोंजी, लाल मिर्च कटी, अदरक-
निम्बू , मिर्च का केचप, सेम, आम, नींबू मसाला, नींबू खट्टा-
मीठा, अदरक लच्छा, कटहल, करौंदा, कमल ककड़ी, अमड़ा, आँवला,बडहल
, लहसुन, प्याज़, गोभी, बाँस, नारंगी, करेला, सूरन लच्छा, कैरिया, लिसोडा,
अगस्ती फूल, राई मिर्चा, साग हरा लहसुन, लहसुन-
अदरक हरी मिर्च चटनी तथामुरब्बा में आँवला, बेल, सेव, गाजर, गन्ना, अद
रक, करोदा चेरी, बाँस, पपीता चेरी टूटी-
फ़्रूटी, पपीता लच्छा, आम नवरंग चटनी सहित आँवला सिरका, गन्ना सिर
का,जामुन सिरका तथा सेब सिरका आदि अच्छी क्वालिटी में ताज़ा और स्वा
दिष्ट दिलदार पापड़ भण्डार में आने वाले ग्राहकों के लिये हर समय उपलब्ध
है। श्री पिंकीकहते है पिताजी स्व० सरदार दिलदार सिंह ने शुद्धता और स्वा
द के साथ क्वालिटी का हमेशा ध्यान रखा। इसलिए हमारे ब्राण्ड का स्लोगन
है ' सस्ता नही-
सबसेअच्छा'। काशी ही नही बल्कि हमारे यहाँ आने वाले देशी-
विदेशी पयटको की माँग के अनुरूप अपने उत्पाद को तैयत कर रहे है। जिसे
सम्पूर्ण भारत वर्ष के हर प्रांत केसाथ-
साथ विदेशों में अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेल्या, साउथ अफ़्रीका, इंग्लंड, सऊदी
अरब, दुबई, कुवैत आदि देशों में बसे प्रवासी भारतियों द्वारा ख़ूब पसंद कि
या जारहा है। हमारे संस्थान का ये संकल्प है कि हम ग्राहकों को अच्छी से
अच्छी स्वादिष्ट चीज खिलायंगे, लेकिन क्वालिटी के साथ ।
श्री पिंकी कहते है कि हमारे संस्थान को काशीवासियों ने बहुत स्नेह और प्या
र दिया है। यह उनके प्यार और आशीर्वाद का परिणाम ही है कि हमारे प्रोडक्
ट को विश्वस्तर पर पसंद किया जा रहा है । हम एसके लिए काशीवासियों
का तहेदिल से शुक्रिया अदा केरते है । और आशा केरते है कि हमारी त्रुटियों
की ओर समय-
समय परहमारा ध्यान आकर्षित कर अपना आशीर्वाद और मार्गदर्शन इसी
प्रकार देते रहेंगे।